शीर्षक: हम उस आदमी का कैसे खण्डन करें जो यह दावा करता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ज़िन्दा हालत में उस
भाषा: हिन्दी
मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
अनुवादक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्ला
के प्रकाशन से : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
संछिप्त विवरण: पाकिस्तान
में सूफी लोग (सूफिया) धर्म के नाम पर बुराई की जड़ और आधार हैं, जब मैं ने
एक आदमी को जिस के बारे में यह कहा जाता है कि वह ज्ञान वाला (आलिम) आदमी
है, यह कहते हुए सुन कर दंग रह गया कि : "आप अल्लाह के पैगंबर मुहम्मद
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वास्तकिव रूप में मुलाक़ात कर सकते है।" उस के
कहने का मक़सद यह था कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी असली शक्ल में .
. . उन के वली के पास आते हैं . . . वे लोग केवल नबी सल्लल्लाहु अलैहि के
न मरने का अक़ीदा हनहीं रखते है, बल्कि यह भी कहते हैं कि आप सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम उन के औलिया की इन दिनों ज़िन्दा हालत में ज़ियारत भी करते
हैं। हम इन का जवाब कैसे दें ? और शरीअत में इन का हुक्म क्या है ?
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