शीर्षक: इस्लाम और ईमान के स्तंभ
भाषा: हिन्दी
लेख : मुहम्मद जमील ज़ेनू
अनुवादक : रज़ाउर्रहमान अनसारी
संशोधक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्ला
के प्रकाशन से : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय ज़ुल्फी, सऊदी अरब
संछिप्त विवरण: इस्लाम
और ईमान के स्तंभ क़ुरआन व सुन्नत से संकलितः इस पुस्तक में संक्षेप के
साथ इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन करते हुए, इस्लाम, ईमान और एहसान
का अर्थ, ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की गवाही का अर्थ
उल्लेख किया गया है। इसके बाद इस्लाम के दूसरे स्तंभ नमाज़ का महत्प व
विशेषता, नमाज़ छोड़ने पर चेतावनी, वुज़ू का तरीक़ा, नमाज़ का तरीक़ा तथा ईद,
जुमा, जनाज़ा, इस्तिखारा, इस्तिस्क़ा (बारिश मांगने), सूर्य व चाँद ग्रहण की
नमाज़, बीमार व्यक्ति की पवित्रता और नमाज़ के तरीक़ा का वर्णन किया गया है।
तथा ज़कात की विशेषता व महत्व, उसके अनिवार्य होने की तत्वदर्शिता, जकात के
धन और उसकी मात्रा, उसके हकदार लोग और ज़कात ने देने वालों की सज़ा, रोज़ा.
उसके लाभ और शिष्टाचार, हज्ज व उम्रा की विशेषता, उसका तरीक़ा और उससे
संबंधित कुछ मसाइल, तथा मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार का उल्लेख
किया गया है। तक़्दीर -भाग्य- पर ईमान, उसकी श्रेणियाँ और तक़्दीर पर ईमान
रखने के लाभ का वर्णन विशेष रूप से किया गया है। इसी तरह चारों इमामों के
बीच पाये जाने वाले विचार भेदों के मुद्दे का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट
किया गया है कि वे सभी हदीस पर अमल करने वाले थे और उनके बीच मतभेदों के
अनेक कारणों में से उनके पास हदीस का न पहुँचना था। और सभी अपनी ज़िम्मेदारी
निभाते हुए अपनी तक़्लीद करने से सख्ती से रोका है और हदीस के अनुकरण का
हुक्म दिया है। अंत में कुछ नास्तिकता पर आधारित बातिल अक़ीदों का उल्लेख कर
उनका खंडन किया गया है।
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